Saturday, August 8, 2009

फोटो भगवान् की


पेड़ के नीचे पड़ी फोटो भगवान् की, कह रही थी कहानी अपमान की

विचारों का अन्तर में अभाव रहा होगा , शर्मिंदा करती कृत्य पर इसान की

जिन हाथों ने पूजा उन्ही ने तिरस्कारा बेवक्त बेसहारा किया हमसे किनारा

मन्नतें मांगीं, घी दीपक जलाया, हर गुर्ब्बत में अपनी था हमको मनाया

तस्वीर थी नाशुक्री की, लालच की पहचान की, शर्मिंदा करती कृत्य पर इंसान की

प्रौड़ में आया ,यह बचपन से यौवन, तन हुआ वृद्ध अब करता है रोवन

कई पेड़ खाली, भटके है माली, तरसे है बूंदों को सावन का धोवन

"ह्रदय" छत है यह किसी ऊँचे मकान की, कह रही थी कहानी अपमान की

विश्वास

विश्वास तू आधार जीवन का, जीवन को तू कुछ मान ना मान
तुझसे ही रमता हर रिश्ता, सब रिश्तों का तू ही प्राण

तेरे बल मैं सपने बुनता , कल आयेगा करके ध्यान
तुझ बिन तमस और भय बढ़ता, हो जाता सब चिंतन निष्प्राण

विश्वास से ही माँ जीवन देती,देती हर तन को पहचान
तेरे बल बचपन, बंध अंगुली चलता, प्रेम जीवन में बनता वरदान

"ह्रदय"बढे कितना ही अँधेरा, रोशन होता फिर जहान
मानव में तू, पानी में तरलता, करता मानव तू ईश्वर समान