इक मकसद जीवन में रखकर, जीवन को इक मकसद कर कर
नवनीत जीवन इक जीना है
हर आंसू को मोती कर कर, आंखों में सपना भर कर
जीवन को आशा करना है
मन में भावों को भर कर, भावों को सुमन कर कर
उपवन जीवन को करना है
बूंदों से तृप्ति कर कर, मेघों में खुशियाँ भर कर
"ह्रदय" जीवन को सरिता करना है
Wednesday, August 12, 2009
एक ठिठुरती रात बस में
धुंध भरी रातों में, पड़ते हुए पलों में,
जब सो जाते हैं दुबक के घर में
गोद किसी की जगती है, ज़िन्दगी तो चलती है
निगाहें देख पाती नहीं, राहें नज़र आती नहीं
इक हिम्मत मंजिल की ओर बढती है, ज़िन्दगी तो चलती है
ठिठुरती हुई ज़िन्दगी, बैठती थी किसी कोने में,
तापने को तन कोई भीगते बिछौने में
चाय की भट्टी जलती है, जिन्दगी तो चलती है
केवल दौलत चलाती नहीं, सिर्फ़ ज़रूरत यह काम कराती नहीं
यह काम है किसी देव का , रातें तो यूँ जगती नहीं
"ह्रदय छोड़ सबको मंजिलों पर,
मंजिल की ओर बढती है ज़िन्दगी तो चलती है
जब सो जाते हैं दुबक के घर में
गोद किसी की जगती है, ज़िन्दगी तो चलती है
निगाहें देख पाती नहीं, राहें नज़र आती नहीं
इक हिम्मत मंजिल की ओर बढती है, ज़िन्दगी तो चलती है
ठिठुरती हुई ज़िन्दगी, बैठती थी किसी कोने में,
तापने को तन कोई भीगते बिछौने में
चाय की भट्टी जलती है, जिन्दगी तो चलती है
केवल दौलत चलाती नहीं, सिर्फ़ ज़रूरत यह काम कराती नहीं
यह काम है किसी देव का , रातें तो यूँ जगती नहीं
"ह्रदय छोड़ सबको मंजिलों पर,
मंजिल की ओर बढती है ज़िन्दगी तो चलती है
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