Tuesday, August 11, 2009

बचपन - बुढापा

बचपन बुढापा संग संग देखा, अंगुली से अंगुली पकड़ते देखा

न जाने किसको किसने थामा, पर संग संग हँसते खेलते देखा

दोनों के जीवन में बरसों, इक जाने को, इक आने को

दोनों को इच्छा, अपनों की, दोनों को प्यार में बंटते देखा

दोनों सागर, दोनों बूंदें, 'ह्रदय' दोनों में जीवन देखा

इक अंकुर, इक माली, हर उपवन को, महकते देखा

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