Wednesday, August 5, 2009

माँ की गोदी

नन्ही अंगुली थामे बचपन की
बड़े कदमों को जीवन में भरता हूँ l
नन्ही बूंदों में ज्ञान सागर सा
जीवन में नए रंग मैं भरता हूँ ll

गिरता भी हूँ, संभालता भी हूँ
कभी ख़ुद से बातें करता हूँ l
नयनों में नीर, अधरों पे मुस्कान
यूँ इन्द्रधनुष सा दीखता हूँ ll

"ह्रदय " खुशियाँ देते पल बचपन के सब
सब तेरे ही आँचल से माँ लेता हूँ l
माँ सब सुखों से तेरी गोदी प्यारी
तेरे चारों से ज्ञान सब लेता हूँ ll

No comments:

Post a Comment